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ASHLESHA NAKSHATRA GENERAL RESULTS OF BEING BORN IN

Hi Friends, This is George Cherpanathan.  For your personalized detailed guidance on your horoscope. You can call me at  +919923943448; +91 7972921616  for an appointment or you can mail your queries. Charges apply. Mail: -   astrogeorgeindia@gmail.com;    georgeinpune@gmail.com Blog: -   astrogeorgeindia.blogspot.com ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- Ashlesha Nakshatra Characteristics There is a saying that people born in Ashlesha Nakshatra possess serpent’s sight and even a single look casted by them on others will have a penetrating effect of a certain unknown force. In order to escape from such a sight it is the ancient traditional practice that the neighbors grow bamboos on the border or fences of their houses. Probably the bamboos have magnetic power to catch both the sight and sound.   Spread from 16:40′ to 30: degree Karkata. Chandra is the lord. It is the birth star of Ket

Moti / Moon Stone / Pearl अपनी राशी अनुसार कब और केसे धारण करे

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Description A quite, gentle shine and softness of the pearl has endeared it alike to Men and Women over the ages. Pearls comes in White, Black and with Tinges of Yellow, Blue, Salmon Pink, Red, Brown and Green. A pearl is considered flawed if it has cracks on the skin, a joint appearance, a mole, is lusterless, has mud or other material inside. Pearl represents the queen in Jyotish. The pearl is often called the “queen of the sea”. The pearl harmonizes Chandra, the moon which directly influences emotions, mind, affluence, and public. Wearing a pearl can bring harmony and stability to these influences. Chandra influences the seasonal, monthly and daily cycles and rhythms in the physiology and our emotions. Chandra, the moon, occupies a central role in the solar system and in our physiology. Pearls are known for their beauty, purity and luster and these are associated with planet Moon . Pearl is worn by the ladies around neck, it preserve their chastity. Its influence over he

Remedies for Rahu

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VERY EFFECTIVE REMEDIES TO PACIFY RAHU : 1. DOWNLOAD THE PICTURE OF RAHU FROM THIS SITE AND WORSHIP HIM DAILY. 2. Perform Rahu Pooja by singing Rahu Aarti. 3. Chant Rahu Chaalisa.  4. Wear Rahu Kavach. 5. Establish a Siddh Rahu Yantra in your home.  6. Perform Rahu Shanti. 7. Perform Rahu Havan. 8. Wear Gomed (HESSONAITE) Ring, in middle finger, on Saturday, at 10.00 am, made in Silver.  9. Wear 8 Mukhi Rudraksh.   10. Chant Maha Mrityunjay Mantra atleast 324 Times a day.  11. Recite Rahu Kavach & Rahu Stotra.  12. Donate Urad Daal, Black Til (sesame), Blue Clothes, Woolen Black Blanket to Sweeper or Lower Caste.  13. Give Sugar to Ants, Eggs to Snakes not milk and Food to Crocodile.  14. Give away Lead & Coconut to flowing water or Sea on Saturday.  MANTRAS TO PACIFY RAHU     The Beej Mantra is : " OM RAA RAHAVE NAMAH " The Vedic Mantra is : " Arddhakaayam Mahaaviiryam Chandraaditya Vimardanam Simhikaagarbha Sambhuutam Tam

दक्षिण दिशा का घर भी तब भाग्यशाली होता है South Facing House

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दक्षिण दिशा का घर भी तब भाग्यशाली होता है आजकल  जब कोई नया घर लेने या बनवाने की सोचता है तो उसकी एक ही तमन्ना होती है कि उसका घर वास्तु के अनुरूप हो ताकि घर में सुख-समृद्घि बनी रहे। इसलिए हर व्यक्ति चाहता है कि उसके घर का मुख वास्तु के अनुसार पूर्व या उत्तर दिशा में हो। इन दोनों दिशाओं के बाद लोगों की तीसरी पसंद पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार वाला घर होता है लेकिन दक्षिण दिशा वाले मकान में लोग बसने से डरते हैं। यही कारण है कि दक्षिणमुखी मकान और जमीन को जल्दी कोई ग्राहक नहीं मिलता है। इसका कारण यह है दक्षिण मुखी घर को लेकर ऐसी भ्रांति है कि ऐसे घर में रहने वाले व्यक्ति को कष्ट और समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे घर में रहने पर किसी की अकाल मृत्यु हो सकती है। जबकि वास्तुशास्त्री 'कुलदीप सालूजा' कहते हैं कि दक्षिण दिशा में मुख वाला घर अगर वास्तु अनुकूल बना हो तो दूसरी दिशाओं की तुलना में ऐसे घर में रहने वाले लोग बहुत ज्यादा यश और मान-सम्मान पाते हैं। ऐसे घर में रहने वाले लोगों का जीवन वैभवशाली होता है। 1. घर का मुख्य द्वार दक्षिण पूर्व कोने में होना चाहिए। दक्षिण पश्चिम में

घर की सीढ़ियों को वास्तु दोष से बचाने के उपाय Staircase Vastu Dosh

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घर की सीढ़ियों को वास्तु दोष से बचाने के उपाय धूप का मजा लेना हो या हवाओं से खुद को तरोताजा करना हो, घर की छत पर तो आप जाते ही होंगे। इसके लिए घर में सीढ़ी बनी होगी। लेकिन क्या आपके घर की सीढ़ी सिर्फ इन्हीं कामों के लिए है। वास्तु विज्ञान के अनुसार घर की सीढ़ियों से तरक्की की ऊंचाई पर भी पहुंचा जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि घर की सीढ़ी वास्तु के नियमों के अनुसार बनी हो। सीढ़ी में वास्तु दोष होने पर तरक्की की बजाय नुकसान उठाना पड़ सकता है। � वास्तुशास्त्र के नियम के अनुसार सीढ़ियों का निर्माण उत्तर से दक्षिण की ओर अथवा पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर करवाना चाहिए। जो लोग पूर्व दिशा की ओर से सीढ़ी बनवा रहे हों उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सीढ़ी पूर्व दिशा की दीवार से लगी हुई नहीं हो। पूर्वी दीवार से सीढ़ी की दूरी कम से कम तीन इंच होने पर घर वास्तु दोष से मुक्त होता है। � सीढ़ी के लिए नैऋत्य यानी दक्षिण पश्चिम दिशा उत्तम होती है। इस दिशा में सीढ़ी होने पर घर प्रगति ओर अग्रसर रहता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार उत्तर पूर्व यानी ईशान कोण में सीढ़ियों का निर्माण नहीं करना चाहिए। इससे

सूखे फूल घर में न रखें

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सूखे फूल घर में न रखें पौधे फेंगशुई के उपयोगी स्रोत हैं। ये यांग ऊर्जा का निर्माण करते हैं और घर में सौभाग्य लाते हैं। ताजा फूल घर में सजाए जा सकते हैं, लेकिन अगर ये मुरझाने लगें तो इन्हें फौरन हटा देना चाहिए। ताजा फूल जीवन के प्रतीक हैं और मुरझाए हुए मृत्यु के सूचक हैं। ये यीन ऊर्जा छोड़ते हैं। फूलों को शयनकक्ष में रखने की बजाए ड्रॉइंगरूम में रखना ठीक होगा। नीले रंग और पानी वाले प्राकृतिक चित्र दक्षिण दिशा में न लगाएं: दक्षिण दिशा का क्षेत्र अग्नि तत्व है, जो प्रसिद्धि से संबंधित है। तत्वों के विनाशकारी चक्र के अनुसार, जल, अग्नि को नष्ट करता है। इसलिए यहां पर पानी वाला चित्र लगाना आपके नाम व साख के लिए हानिकारक है। यदि इस क्षेत्र में नीले रंग की कोई वस्तु रखी हो तो उसे भी तुरंत हटा दें, क्योंकि नीला रंग भी जल तत्व का प्रतीक है। पवन घंटी किस क्षेत्र में लटकाएं: पवनघंटी, घर में सौभाग्य बढ़ाने का अद्भुत उपाय है। पवनघंटी में लगी हुई घड़ियों की संख्या तथा जिस पदार्थ से पवनघंटी बनी होती है, दोनों का बहुत महत्व है। पवनघंटी हर क्षेत्र में नहीं लटकाया जाना चाहिए। इनके लटकाने का स्थान अत्य

घर की छत पर कोयल बोले तो किस्मत खुले

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घर की छत पर कोयल बोले तो किस्मत खुले गर्मी  का मौसम आते ही कोयल की कूक गूंजने लगती है। इसकी मीठी आवाज़ सुनकर मन प्रसन्न हो जाता है लेकिन अगर आप यह जानेंगे कि इसका कूकना धन और समृद्धि लाता है तो आपकी प्रसन्नता और बढ़ जाएगी। शकुनशास्त्र के अनुसार जब घर की छत पर बैठकर कोयल कूके तो इसका मतलब है कि आकस्मिक धन लाभ होने वाला है। कोयल की कूक का फल दिशा और समय के अनुसार भी प्राप्त होता है। कोयल की आवाज अगर सुबह-सुबह दक्षिण पू्र्व दिशा से सुनाई दे तो नुकसान होता है। लेकिन शाम के समय सुनाई दे तो कोई खुशखबरी मिलती है। दोपहर में इस दिशा से कोयल की आवाज का सुनाई देना भी अच्छा नहीं माना जाता है। किसी कार्य से जा रहे हैं और दोपहर में कोयल की बोली सुनाई दे तो कार्य में सफलता मिलती है। उत्तर पूर्व एवं पश्चिमोत्तर दिशा से कूक सुनाई पड़े तो धन लाभ मिलता है। उत्तर दिशा से कोयल की आवाज सुनाई देना बताता है कि घर में सुख-सुविधा के साधनों में वृद्धि होने वाली है। आम के पेड़ पर बैठकर कोयल कूक लगाए तो शुभ संकेत समझना चाहिए।

आर्थिक नुकसान से बचाते हैं वास्तुशास्त्र के ये पांच उपाय

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आर्थिक नुकसान से बचाते हैं वास्तुशास्त्र के ये पांच उपाय धनवान  बनने के लिए धन कमाना जितना जरूरी है उतना ही धन बचाना भी आवश्यक है। लेकिन कई बार आप चाहते भी हैं तब भी धन बचाकर नहीं रख पाते हैं, आकस्मिक खर्च आकर बजट बिगाड़ जाते हैं। वास्तुशास्त्र में कुछ सामान्य उपाय बताए गये हैं जिन्हें आजमाने से आकस्मिक खर्चों में कमी आती है और बचत बढ़ने लगता है। धन रखने की दिशा धन में वृद्धि और बचत के लिए तिजोड़ी अथवा आलमारी जिसमें धन रखते हों उसे दक्षिण की दिवार से सटा कर इस प्रकार रखें कि, इसका मुंह उत्तर दिशा की ओर रहे। पूर्व की दिशा की ओर आलमारी का मुंह होने पर भी धन में वृद्धि होती है लेकिन उत्तर दिशा उत्तम मानी गयी है। नल को बदलें नल से पानी का टपकते रहना वास्तुशास्त्र में आर्थिक नुकसान का बड़ा कारण माना गया है, जिसे बहुत से लोग अनदेखा कर जाते हैं। वास्तु के नियम के अनुसार नल से पानी का टपकते रहना धीरे-धीरे धन के खर्च होने का संकेत होता है। इसलिए नल में खराबी आ जाने पर तुरंत बदल देना चाहिए। दीवार पर लटकाएं धातु का सामान शयनकक्ष में कमरे के प्रवेश द्वार के सामने वाली दीवार के बाएं कोने पर धा

नकारात्मक ऊर्जा भगाएं, सुख समृद्घि लाएं

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यूं नकारात्मक ऊर्जा भगाएं, सुख समृद्घि लाएं अक्सर  लोगों की शिकायत रहती है कि पैसा आता तो है पर बरकत नहीं होती है। पैसा कहां चला जाता है कुछ पता नहीं चलता है। हो सकता है कि आप भी इस तरह की समस्या से परेशान हों। इसका आसान से हल वास्तुविज्ञान में मौजूद है। वास्तु विज्ञान के अनुसार इस तरह की परेशानी का कारण नकारात्मक ऊर्जा है। मकान के किसी कमरे में अकेले जाने या उस कमरे में सोने से डर लगने का कारण भी है। परिवार में अक्सर खींचातानी चलती रहती है तो इसका कारण भी नकारात्मक ऊर्जा हो सकती है। वास्तुविज्ञान में कुछ उपाय बताए गए हैं जिनसे नकारात्मक ऊर्जा को आसानी से नष्ट किया जा सकता है। इन उपायों को आजमाएं और घर में सुख समृद्घि लाएं।     खिड़कियों को चौबीस घंटे में से कम से कम पच्चीस मिनट के लिए जरुर खोलें ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा को प्रवेश करने का और नकारात्मक उर्जा को बाहर निकलने का रास्ता निकल पाएं।     उत्तर के कोण में तुलसी का पौधा लगाएं।     घर में पूजा घर में नियमित रूप से घी का दीपक जलाएं।     घर के मंदिर में देवी-देवताओं पर चढ़ाए गए फूल-हार दूसरे दूसरे दिन हटा देना चाहिए।     अन

घर में आने लगे बार-बार बिल्ली, तो हो जाएं सावधान

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घर में आने लगे बार-बार बिल्ली, तो हो जाएं सावधान अगर  आपके घर में अचानक ही बिल्लियों का आना बढ़ गया है तो इसे सामान्य बात मानकर अनदेखी नहीं करें। यह भविष्य में होने वाली घटना का सकेत हो सकता है। इसलिए सावधान हो जाएं और घर में सत्यनारायण भगवान की पूजा करवाएं अथवा कोई हवन का अनुष्ठान करें। इसलिए है बिल्ली अशुभ इसका कारण यह है कि बल्ली के घर में बार-बार आने से बिल्ली के दूध पी जाने का खतरा ही नहीं रहता बल्कि घर में नकारात्मक उर्जा बढ़ने लगती है। नादर पुराण में बताया गया है कि बिल्लियों की पैरों की धूल जहां भी उड़ती है वहां सकारात्मक उर्जा की हानि होती है यानी शुभ का नाश होता है। तंत्र-मंत्र की साधना करने वाले बिल्ली को काली शक्ति का प्रतीक मानते हैं और बिल्लियों की पूजा करते हैं। बिल्लियों का पितरों से भी संबंध माना गया है। इसलिए भी बल्लियों का घर में आना अशुभ माना जाता है। जिस घर में अक्सर बिल्लियों का आना-जाना लगा रहता है उस घर में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव बना रहता है। एक के बाद एक समस्याएं आने के कारण घर का मुखिया तनाव में रहता है। बिल्लियों के बारे में मान्यता